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Comments on song "Haay Tabassum Tera (Asha)"
Rajendra Oza on August 22, 2013
A brilliant composition by Usha Khanna ji rendered in his inimitable style
by Rafi sahab. Javed Anwar sahab's meaningfully romantic lyrics. Thank you
so much for this fantastic and best quality upload, Ajay ji.
Bharat Gul on August 22, 2013
Lovely Rafi tribute to Azima's baby-doll sweetness.That innocent, winsome
tabassum was Azima's hallmark, indeed. Sadly, her life was snuffed out too
early-- one of numerous such early losses in our movie world. Thanks for
the post, Ajay.
sureshshah3 on November 06, 2013
Wah Ushaji , Rafi Saab Ne aapke is composition Mein Char Chand Laga Diya.
Excellent Upload ajayuv of Superb song which has gone in to list of "Bhule
Bisre Geet".Thumbs Up.
Pradip Shah on February 01, 2014
Just superb!! Why only 836 views?
nutan sharma on February 06, 2014
I like dis song vry much.
Manas Mukhopadhyay on March 05, 2014
Rafi sahab was a superhuman, in a love song also he could have brought
tears in your eyes by his extremely sweet and passionate voice. Thanks.
Sandra Jainandunsing on August 17, 2014
Great voice ever many thanks
Khalid Ali on February 05, 2015
Nice voice of rafi sahab
Amrit Pal Singh Bhalla on August 24, 2015
GREAT RAFI SAHEB FOR GREAT VERSATILE SANJEEV KUMAR
Devendra Singh on September 18, 2015
पलकों की चिलमन उठाना
धीरे से ये मुस्कुराना
लब जो हिले, ज़ुल्फ़ों तले
छाया ग़ुलाबी अंधेरा
हाये तबस्सुम तेरा
धूप खिल गयी रात में
या बिजली गिरी बरसात में
हाये तबस्सुम तेरा .

बेहद लाजवाब गीत। कई अन्जान नग्मानिगारो ने इतने खूबसूरत गीत लिखे हैं जिन्हें
सुनकर हम अवाक् रह जाते हैं। 1965 में रिलीज़ हुई फ़िल्म निशान का यह गीत भी ऐसे
ही एक गीतकार ने लिखा है जिसका नाम है जावेद अनवर। ऊषा खन्ना ने कई फिल्मों
में नए गीतकारों को मौका दिया और कभी भी निराश नहीं होना पड़ा। रफ़ी साहिब ने भी
बड़ी अदा और मस्त मूड में यह गीत गाया है। परदे पर संजीव कुमार और नाज़िमा की
जोड़ी खूब जमी थी लकिन इस फ़िल्म के बाद नाज़िमा जैसी अच्छी अभिनेत्री को leading
role नहीं मिल पाया, यह तक़दीर की बात है जबकि संजीव कुमार की क़िस्मत चमकी और
वे कहाँ से कहाँ पहुँच गये।
P.K. ANILKUMAR ( HINDI MELODY BYTES ) on September 18, 2015
पलकों की चिलमन उठाना धीरे से ये मुस्कुराना
लब जो हिले, ज़ुल्फ़ों तले छाया ग़ुलाबी अंधेरा
हाये तबस्सुम तेरा धूप खिल गयी रात में
या बिजली गिरी बरसात में हाये तबस्सुम तेरा .

बेहद लाजवाब गीत। कई अन्जान नग्मानिगारो ने इतने खूबसूरत गीत लिखे हैं जिन्हें
सुनकर हम अवाक् रह जाते हैं। 1965 में रिलीज़ हुई फ़िल्म निशान का यह गीत भी ऐसे
ही एक गीतकार ने लिखा है जिसका नाम है जावेद अनवर। ऊषा खन्ना ने कई फिल्मों
में नए गीतकारों को मौका दिया और कभी भी निराश नहीं होना पड़ा। रफ़ी साहिब ने भी
बड़ी अदा और मस्त मूड में यह गीत गाया है। परदे पर संजीव कुमार और नाज़िमा की
जोड़ी खूब जमी थी लकिन इस फ़िल्म के बाद नाज़िमा जैसी अच्छी अभिनेत्री को leading
role नहीं मिल पाया, यह तक़दीर की बात है जबकि संजीव कुमार की क़िस्मत चमकी और
वे कहाँ से कहाँ पहुँच गये।
Pradeep Narain on September 30, 2015
Awesome . and a great composition from Usha Khanna
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